अभी अभी एक न्यूज साइट पर ख़बर पढ़ी कि फिल्म अभिनेता शाहिद कपूर को राजीव गांधी अवॉर्ड से नवाजा गया है। बेस्ट एक्टर के लिए। अचानक जेहन में सवाल आ गया कि भाई शाहिद को क्यों? क्या बॉलीवुड में शाहिद के अलावा कोई इस लायक बचा नहीं था कि उसे ‘बेस्ट एक्टर’ माना जा सकता।
लेकिन,फिर दूसरे ही पल लगा कि अपने बाप का क्या जाता है, किसी को दो। 28 साल के शाहिद ने भले अभी तक सिर्फ इश्क विश्क,विवाह और जब वी मैट जैसी तीन सफल फिल्में दी हों,लेकिन अगर ज्यूरी उनके अभिनय पर फिदा है तो कोई क्या करे। अब,ये अलग बात है कि उनकी सबसे सुपर हिट फिल्म 'जब वी मैट' के सारे अवॉर्ड फिल्म की हीरोइन करीना कपूर की झोली में गए हैं।
वैसे,बात सिर्फ शाहिद कपूर की भी नहीं है। अवॉर्ड का सम्मान कैसे कम किया जाता है,ये राजीव गांधी अवॉर्ड में एक्टरों के नामों की फेहरिस्त को देखकर लगाया जा सकता है। 2005 में सुनील शेट्टी और करीना कपूर को ये अवॉर्ड दिया गया। अब सुनील भाई ने एक्टिंग में क्या तोप मारी है भला? और करीना कपूर ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग 2005 के बाद ही दिखायी है,लेकिन उन्हें 2005 में इस अवॉर्ड से सम्मानित कर दिया गया। 2006 में जॉन अब्राहम और सुष्मिता सेन को यह अवॉर्ड दे दिया गया। बहुत खूब! 2007 में सलमान खान और शिल्पा शेट्टी को। शायद, इनके अनुभव के मद्देनजर दिया गया हो अवॉर्ड ! 2008 में सैफ अली खान और लारा दत्ता को। सैफ अली तो 2008 तक 'ओंकारा' और 'हम तुम' के जरिए अपने बेहतरीन अभिनय का जौहर दिखा चुके थे, लेकिन लारा दत्ता?
दिलचस्प ये कि इस लिस्ट में शाहरुख खान का नाम अपन को दिखायी नहीं दिया अभी तक। वैसे,शाहरुख को भी मैं बहुत उम्दां एक्टर नहीं मानता लेकिन लोकप्रियता में उनका कोई सानी नहीं है। इसके अलावा, 'चक दे' और 'स्वदेश' के बाद यह कहना भी गलत है कि शाहरुख को एक्टिंग नहीं आती।
वैसे, शाहिद कपूर से टक्कर लेने वालों में अभय देओल का नाम हो सकता था। अभय देओल की तमाम फिल्में लीक से हटकर हैं, और उनका अभियन कमाल का है। इसके अलावा एक नाम अभिषेक बच्चन का हो सकता था,जो 'गुरु' में बेहतरीन अभिनय दिखा चुके हैं, और 'धूम' और 'दोस्ताना' जैसी मसालेदार फिल्मों में भी खूब चले हैं। लेकिन,कांग्रेस सरकार में अभिषेक को सम्मान? न न...ये सोचना भी गलत है। आप क्या कहते हैं?
Saturday, July 18, 2009
किसी को दो अवॉर्ड, अपने बाप का क्या जाता है?
Labels:
अवॉर्ड,
शाहिद कपूर
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yahi ki ane papa ka kya...
ReplyDeleteyani ki fark painda hai ji!
ReplyDeleteहमें क्या जिस मर्जी को दो अवार्ड, अपने को क्या जाता है। इतने अवार्ड हो गए कि जो एक जगह मिस कर जाता है उसके लिए अन्य विकल्प खुले रहते हैं।
ReplyDeleteसही बात है, अपने बाप का कुछ नहीं जाता.
ReplyDeleteHA HA HA ACHHA LAGAA CHARCHE ME SHAAMIL HONAA ....
ReplyDeleteARSH
अवार्ड के साथ तो ऐसा है कि अगर न मिले तो खरीद लो नहीं तो अपने ही अलग खोल लो एक दुकान।
ReplyDeleteभाई! यूं तो जो नाम आपने सुझाए हैं एवार्ड के लिए, उन पर भी ऐसे ही सवाल उठाए जा सकते हैं.
ReplyDeleteयह अवार्ड पिटे हुये और हशिये पर हुये फिल्मी लोगो को लिये ही बनाया गया है, आप इतना भी नहीं समझते
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