Sunday, February 28, 2010

होली से डरने वालों के लिए क्रेश कोर्स (व्यंग्य)

अगर आपको होली से डर लगता है। होली नामक त्योहार के लिए खुद को फिट न समझते हुए आप इस भद्दा मजाक करार देते हैं। लुटे-पिटे-काले-कलूटे चेहरों को देख आप सहम जाते हैं। कोई रंग लगाने आए तो आप खुद को बाथरूम में बंद कर घरवालों को गांधी के सत्य के नियम के खिलाफ जाने के लिए लगभग बाध्य करते हैं। होली की सुबह 7 से शाम पांच बजे तक अपनी ऐसी-तैसी सिर्फ और सिर्फ टेलीविजन के सामने कराते हैं, और घर से बाहर निकलने के ख्वाब मात्र से आपको घर में बने ‘होनालूलू’ जाना पड़ता है तो यह क्रेश कोर्स आपके लिए है।

तो जनाब, होली बड़ा विकट किस्म का त्योहार है। और मुरली मनोहर की पावन धरा के इस वर्ल्ड फेम गेम से डरने वालों के लिए बाबा रंगानी का आजमाया हुआ दस सूत्रीय फॉर्मूला निम्नलिखित है-

1-होली पर सबसे पहले सुबह सुबह तेल में भिगोकर अपनी ही चप्पल कम से पचास बार खुद को जड़ डालें। इस चप्पल को बीच बीच में अपने पसंदीदा रंग में भी डुबो लें और फिर खुद को जड़े। शरीर पर हुए हर वार का दूसरे वार से एक बिलत्ते का फासला होना चाहिए। ऐसा होने से एक एथनिक लुक आ जाएगा। और आपको रंगने आने वाला भेड़िया इस एथनिक लुक में आपको लुटा पिटा देख अपना रंग बर्बाद करने के विषय में नहीं सोचेगा।

2-अपनी बॉडी पर एथनिक पेंट करने के बाद अपने वस्त्रों को मनीष मल्होत्रा टाइप डिजाइन कीजिए। इसके लिए अपना फटा कुर्ता ढूंढकर निकालिए। यदि ‘फटा होने’ के विषय में संशय हो तो घर में रखे कैकटस के पौधे अथवा दरवाजे के कड़े में दोनों जेबों को फंसाकर खींचिए। जेब फटते हुए ऊपर की ओर जहां तक जाएगी, वो आपकी डिजाइन को उतना ही लेटेस्ट लुक देगा।
3-खैर, इस लुक में काफी वक्त बर्बाद होने के बाद आपके भीतर एक सेल्फ कॉन्फिडेंस आ जाएगा। आखिर, अगर आप होली की तैयारी इस शिद्दत से कर सकते हैं तो होली खेल भी सकते हैं। डरिए मत। अब वक्त आ रहा है कि आप रंगों के त्योहार में रंग जाएंगे।

4-चलिए, आप होली खेलने के लिए आखिर तैयार तो हो गए। लुक बिलकुल हुलियारों सरीखा बन चुका है। बस,अब उमंग की कमी है। इस उमंग को भंग के साथ एक झटके में पैदा किया जा सकता है। इसलिए भंग का कोई एक्सपीरियंस हो तो फौरन ठंडाई में डालकर पी ही लीजिए। लेकिन, अगर यह महान अनुभव नहीं है,तो कोई बात नहीं। नशेबाज ही होली खेलेंगे-ऐसा किसी वेद-पुराण में नहीं लिखा। बस आप हौसला रखिए।

5-तो जनाब, नंगपन की हद तक होली खेलने की आवश्यक शर्त -भंग पीना- आप पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए, नयी डगर से आपको मंजिल तक भेजना होगा।

6-तो ऐसा है जनाब। अगर आप किसी मकान के मालिक हैं। उस मकान मालिक की औलाद हैं या उसके रिश्तेदार हैं, तो बस किराएदार को बेहिचक रंगने पहुंच जाइए। और हां, किराएदार के घर में तभी जाइए, जब ‘भैया’ न हों। इस करतब को करते हुए आपका दिल पहली पहली बार थोड़ा घबराएगा जरुर, लेकिन आप डटे रहिए। क्योंकि, अगर आपकी इमेज सज्जन टाइप के प्राणी की है तो भाभी खुद आपको रंग देंगी। भाभी आपके चिकने गालों को खुद रगड़ रगड़ कर रंगीला बना देंगी। इस केस में आपको कुछ नहीं करना है। सिर्फ आंख बंद कर भाभी को देखना है।

7-लेकिन,अगर आपकी इमेज हरामी टाइप की है,तो अव्वल तो आपको होली से डर लगता नहीं होगा। लेकिन, अगर लगता भी होगा तो आप भाभी से होली पर छेड़खानी करने में बिलकुल न डरें। ये आपका जन्मसिद्ध अधिकार है।

8-खैर, भाभियों से मौज मस्ती के बाद आपको थोड़ा कॉन्फिडेंस और आएगा। मान लीजिए कि आप अब ट्रेंड हुलियारों की कैटेगरी में पहुंच रहे हैं। बस, आपको अब करना यह है कि पड़ोस की जिस कुड़ी को आप लगातार निहार रहे हैं, और जिसके गुलाबी गालों के चक्कर में आपकी रंग भेद में अक्षम आंखों को रंग समझ आने लगे हैं-उस कुड़ी के घर पहुंच जाइए। हिम्मत रखिए.....अगर लड़की का बाप या मां से आमना-सामना हो जाए तो फौरन उनके पैर छूकर थोड़ा गुलाल मल दीजिए। हैप्पी होली कहिए और चीते की फुर्ती से आगे बढ़ जाइए। आपको यह जोखिम भरा लग सकता है, लेकिन घबराने से कुछ नहीं होगा। आप अपने कदमों को बढ़ने दीजिए। आपकी पिंकी, प्रीति, छुटकी, बिल्लो, रानी वगैरह वगैरह जो भी है, वो आपके सामने होगी। अब बस बिना देर किए उसके गुलाबी गालों पर उधार का गुलाल मल दीजिए।

9-समझ लीजिए। होली छिछोरेबाजी का त्योहार है। भारत में छिछोरेबाजों को सारी ट्रेनिंग इसी त्योहार में मिलती है। इसलिए डरिए मत। दूसरे गाल पर भी रंग मल दीजिए। और अगर आपको उसके शरीर के किसी भी कोने में हाथ लगाने का मौका मिल जाए तो बस उस मौके पर शेर के शिकार की तरह लपक लीजिए।

10-खुदा कसम...इसके बाद आपके शरीर में जो करंट दौड़ेगा, वो दुनिया के सभी किस्म के डरों का खात्मा कर देगा। अजीब सी सरसराहट शरीर को झंकृत कर देगी। और खुदा न खास्ता अगर लड़की भी आपसे कुछ इसी किस्म की छिछोरेबाजी की उम्मीद कर रही हुई, और उसने भी आपके बालों- गालों और ???? पर उंगली फेर दी तो..........। बस, समझ लीजिए कि होली इसी अहसास का नाम है। हां, इस किस्म की होली के बाद पड़ोस के घर में आपका आना जाना बंद हो सकता है, लेकिन उस आवाजाही को दोबारा खुलवाना का मौका भी तो होली ही है......।

2 comments:

  1. आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice

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  2. हा हा!! बढ़िया लैसन दे डाला!



    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

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