सोशल मीडिया एक्जीक्यूटिव। सोशल मीडिया रिसर्चर। सोशल मीडिया एनालिस्ट। और सोशल मीडिया स्ट्रेटेजिस्ट। बहुत से लोगों ने शायद कभी इन ‘पॉजिशन’ के बारे में नहीं सुना होगा, लेकिन तमाम कंपनियों में इन दिनों धड़ल्ले से इस तरह के पदों पर नियुक्तियां हो रही हैं। भारत में आठ करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोक्ताओं और फेसबुक, ऑर्कुट, ट्विटर, ब्लॉग, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया के सभी औजारों की बढ़ती लोकप्रियता के बीच कंपनियों को सोशल मीडिया के जानकारों की जरुरत पड़ने लगी है।
सोशल मीडिया पर अपने ब्रांड को मजबूत करने से लेकर, अपनी इमेज सुधारने और नया बाज़ार बनाने के मकसद से कंपनियों को सोशल मीडिया के तमाम पहलुओं की जानकारी रखने वाले लोगों की आवश्यकता हो रही है। इस तरह सोशल मीडिया की समझ रखने वाले लोगों के लिए रोजगार की एक नयी राह खुल चुकी है। दिलचस्प यह कि सोशल मीडिया के क्षेत्र में उन युवाओं के लिए भी खास मौके हैं,जिनके पास किसी कंपनी में काम का कोई अनुभव नहीं है। अनिल धीरुबाई अंबानी ग्रुप ने हाल में मुंबई में ‘ऑनलाइन/सोशल मीडिया मैनेजमेंट’ नाम से भर्ती का विज्ञापन निकाला तो उसमें अनुभव कैटेगरी में लिखा गया-शून्य। चेन्नई के अखबारों या वेबसाइट्स पर सोशल मीडिया इंटर्न से एक्सपर्ट तक के तमाम विज्ञापन दिखायी दे रहे हैं,जहां अभ्यर्थियों से अनुभव नहीं मांगा जा रहा अलबत्ता इस क्षेत्र में समझ की दरकार जरुर है।
इस मामले में न्यूयॉर्क की एक नयी ई-कॉमर्स कंपनी का क्रेगलिस्ट में प्रकाशित विज्ञापन शानदार है। कंपनी ने महज 195 शब्दों के अपने विज्ञापन में अभ्यर्थियों से कहा-‘आप हमें दो ट्वीट ई-मेल कीजिए। पहला अपने अनुभव के बारे में। दूसरा,क्यों आप इस जॉब के लिए उपयुक्त हैं। अगर आपने ट्विटर की शब्द संख्या में अपना जवाब दे दिया तो आप अपना काम कर गए। इसके अलावा हमें अपना ट्विटर एकाउंट मेल कीजिए। बताइए आपके कितने फॉलोअर्स हैं। और कितने लोगों को आप फॉलो करते हैं। ज्यादा फॉलोअर्स बनाने के क्या तरीके हैं। और आपकी वेतन अपेक्षा क्या है।‘ इस विज्ञापन से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया की समझ लगातार कंपनियों के लिए कितनी अहम हो रही है।
दरअसल, फेसबुक,आर्कुट,माइस्पेस जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से लेकर माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर तक सोशल मीडिया पर एक नया संसार बस चुका है, जहां लोग जाति-धर्म और आर्थिक भेदभाव के बिना आपस में जुड़े हैं। इस नए संसार की समझ नयी पीढ़ी के युवाओं को बहुत है, और अगर वो इस क्षेत्र में रोजगार की संभावना को तलाशें तो यह एक करियर विकल्प भी हो सकता है। दूसरे शब्दों में, सोशल मीडिया लफ्फाजी और मनोरंजन से कहीं आगे जिंदगी जीने का जरिया बन सकता है। वैसे, एक दिलचस्प बात यह भी है कि कंपनियां अगर सोशल मीडिया एक्सपर्ट तलाश रही हैं,तो इसी सोशल मीडिया के जरिए अभ्यर्थियों को खारिज भी कर रही हैं। ऑनलाइन जॉब साइट करियरबिल्डर द्वारा 1000 कंपनियों के बीच किए एक सर्वे के मुताबिक 73 फीसदी कंपनियां अभ्यर्थियों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए सोशल मीडिया खासकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स खंगाल रही हैं। रिपोर्ट की मानें तो 42 फीसदी कंपनियों को अभ्यर्थियों के बारे में सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी मिली, जिसके चलते उन्हें जॉब नहीं दी गई। 48 फीसदी कंपनियों ने कहा कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी अकादमिक योग्यता के बारे में झूठ बोलने की वजह से कई कैंडिडेट्स को नौकरी नहीं दी गई। सोशल नेटवर्किंग साइट्स समेत सोशल मीडिया के तमाम माध्यमों पर दी गईं सूचनाएं कंपनियों के लिए अभ्यर्थियों को जानने समझने का जरिया बन रही हैं। इस प्लेटफॉर्म पर कुछ झूठ भविष्य में बड़े मौके की राह का कांटा बन सकते हैं-ये भी युवाओं को समझना होगा।
मल्हार- कक्षा 8
3 weeks ago
ऐसा कुछ 'महान' कर्म अभी तक किया नहीं है, जिसका विवरण दिया जाए। हाँ, औरेया जैसे छोटे क़स्बे में बचपन, आगरा में युवावस्था और दिल्ली में करियर की शुरुआत करने के दौरान इन्हीं तीन जगहों की धरातल से कई क़िस्सों ने जन्म लिया। वैसे, कहने को पत्रकार हूँ। अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, आजतक और सहारा समय में अपने करियर के क़रीब 12 साल गुज़ारने के बाद अब टेलीविज़न के लिए कुछ कार्यक्रम और इंटरनेट पर कुछ साइट लॉन्च करने की योजना है। पांच साल पहले पहली बार ब्लॉग पोस्ट लिखी थी, लेकिन जैसा कि होता है, हर बार ब्लॉग बने और मरे... अब लगातार लिखने का इरादा है...
achhi jankari di he aapne..aaj samjhane ki jyada jaroorat he.
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