Wednesday, February 24, 2010

सचिन के लम्हे को बार बार जीने का मन करता है

एक हाथ में बैट और दूसरे में हेलमेट लिए हवा में हाथ उठाए सचिन तेंदुलकर। इस एक लम्हे को सचिन तेंदुलकर ने बार बार जीया है। लेकिन, ग्वालियर के रुप सिंह स्टेडियम में क्रिकेट के इस भगवान ने क्रिकेट के इतिहास में पहली बार एकदिवसीय मैच में 200 के आंकड़े को छुआ तो वक्त ठहर गया। बाएं हाथ में हेलमेट और दाएं हाथ में बल्ला लिए सचिन रमेश तेंदुलकर ने इस बार दोनों हाथ फैलाकर हवा में उठाए तो उनके खामोश चेहरे का संतोष साफ पढ़ा जा सकता था। 441 एकदिवसीय मैचों और 21 साल लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर के बाद आए इस एक पल ने सचिन तेंदुलकर से ज्यादा उनके प्रशंसकों को खुशी से सराबोर कर दिया। सचिन की इस उपलब्धि ने चार दिन पहले ही रंगों के त्योहार के साथ दस्तक दे डाली।

50 वें ओवर की तीसरी गेंद पर सचिन प्वाइंट की तरफ गेंद को कट कर एक रन के लिए दौड़े तो यह महज एक रन नहीं था। ये सचिन की ज़िंदगी की मेहनत को एक नयी उपलब्धि में गढ़ता एक रन था। क्रिकेट के इतिहास में नया मुकाम गढ़ता एक रन था। वनडे क्रिकेट में सचिन को उस शिखर पर बैठाता एक रन था, जिसके करीब तो कई खिलाड़ी पहुंचे लेकिन उस पर काबिज कभी नहीं हो पाए।

22 गज की पिच पर यह एक रन पूरा हुआ ही था कि 50-50 ओवर के खेल की परिभाषा और विस्तार ले गई। आखिर, वनडे में 200 का आंकड़ा कोई कभी नहीं छू पाया !

वैसे, ग्वालियर के मैदान में सचिन ने अपनी इस पारी की झलक पहली गेंद से ही दे दी थी, जब उन्होंने मुकाबले की पहली और दूसरी गेंद को सीमा रेखा के बाहर पहुंचा दिया। इसके बाद तो मैदान के हर हिस्से से उन्होंने रन बटोरे और पहली से आखिरी गेंद तक खेलते हुए वो न केवल नॉट आउट रहे बल्कि क्रिकेट की किताब में एक नया रिकॉर्ड भी दर्ज करा गए। सचिन इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ 186 और आस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रन ठोंककर लोगों में इस रिकॉर्ड तक पहुंचने की उम्मीद तो पहले भी जगा चुके थे,लेकिन कामयाबी मिली दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ। सचिन ने 147 गेंदों में तीन छक्कों और 25 चौकों के साथ यह कामयाबी पाई।

सचिन की इस अनूठी उपलब्धि के बीच कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की आतिशी पारी गुम हो गई,जिसने 35 गेंदों में चार छक्कों और सात चौकों के साथ 68 रन बनाए। लेकिन, इसका ग़म न धोनी को था, और न दर्शकों को। क्योंकि, सचिन का लम्हा सिर्फ सचिन का था, जिसे हर क्रिकेट प्रेमी बार बार जीना चाहता है। सचिन की इस उपलब्धि के क्या मायने हैं, इसे सुनील गावस्कर के एक बयान से समझा जा सकता है। गावस्कर ने सचिन के इस रिकॉर्ड के बाद कहा-मैं इस जीनियस के पैर छूना चाहता हूं....।

3 comments:

  1. वाकई सर.. सचिन क्रिकेट के भगवान हैं.. उनके जैसा दूसरा न तो पैदा हुआ है और ही होगा... लेकिन अल्फाज़ों की बाजीगरी के मामले में आपका भी कोई सानी नहीं है.. सचिन के उस लम्हें को सचमुच जी लेने को जी चाहता है...

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  2. सचिन सच मे महानतम खिलाडी है .और आज तो कमाल हो गया आज एक रिकार्ड बना और धोनी बच गये कही १९९ रह जाते तो धोनी धोनी नही रहते आज

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  3. सचमुच...ये लम्हे किसी ख्वाब से लगते हैं!

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