जापान की टोकूमोकूरोकू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों का दल संसद में बैठा भारतीय सांसदों की तरफ कातर निगाहों से ताक रहा है। कोई माई का लाल नहीं है क्या चिल्लाने वाला ! किसी ने इतना दूध नहीं पीया कि स्पीकर की कुर्सी के पास पहुंचकर विधेयक की चिंदी-चिंदी कर फूल सा उड़ा दे ! कोई पहलवान नहीं, जो विपक्षी की ऐसी तैसी करते हुए अपने नए शब्दों से हिन्दी-उर्दू को समृद्ध कर दे!
जापानी हैरान-परेशान हैं। आखिर, इसी संसद से लाइव टेलीकास्ट पर जो दिखता था-वो तो इस कदर खतरनाक था,मानो ओबामा का ट्रेनिंग स्कूल चल रहा हो। माइक फेंकते सांसद ऐसे लगते थे कि इस बार आसमान में सुराग करके ही दम लेंगे। अपने जन्मसिद्ध अधिकार यानी चिल्लाने के कंपटीशन में सांसद कब फेफड़ा बाहर निकालने के कंपटीशन से एकाकार हो जाते-ये गहन शोध का विषय था। स्पीकर नामक प्राणी की बेइज्जती का सट्टे से तो कोई संबंध नहीं-जापानियों की रिसर्च का सब्जेक्ट यह भी था।
लेकिन, जापान से इंडिया की फ्लाइट पकड़कर संसद पहुंचते पहुंचते ऐसा क्या हो लिया कि पूरा समां बदल गया? मामला विकट कन्फ्यूजन का था। संसद में अब अचानक सुर लहरियां गूंज रही थीं। शोर तो दूर दूर तक नहीं। हर तरफ से मधुर सीटी की आवाज। शाहरुख के फैन जापानी ताड़ रहे थे कि कोई ‘तू मेरे सामने, मैं तेरे सामने, तुझको देखूं तो प्यार करुं’ सीटिया रहा है तो कोई ‘मेरी महबूबा’ को। पार्लियामेंट में विधेयक पर चर्चा शुरु हुई तो सीटी बजाते बजाते सांसद वोटिंग कर रहे हैं। संसद का दंगल कहीं नहीं, मुहब्बत के तराने चहुं ओर।
इंडियन सिस्टम को समझने वाला जापानी दल का अगुआ समझ रहा है इंडियन कल्चर में सीटी का महत्व। प्रेशर कुकर की सीटी न बजे तो खेल हो ले। होंठ घूमा,सीटी बजा और गाड़ी बुला रही है,सीटी बजा रही है-जैसे गाने बनने से पहले दम तोड़ देते। थिएटर में अगली कतार में बैठे दर्शकों की सीटियां ही बॉलीवुड फिल्मों की सफलता की गारंटी होती हैं। लड़कियों को छेड़ने में सीटी का अहम रोल है,लेकिन रिसर्च बताती हैं कि लड़की को सिर्फ सीटी से छेड़ा छाए तो लड़कियों का मन भी मदमस्त हो जाता है। चालाक लड़कियां इस दौरान बुदबुदाती हैं-साला,मेरे बाप का क्या जाता है, बोर हो रही थी,तू सीटी बजा कर मनोरंजन कर रहा है।
खैर,इंडियन कल्चर में सीटी का नहीं,सवाल पार्लियामेंट में सीटी का था। जवाब मिला तो जापानी भौंचक। पार्लियामेंट में दो दिन पहले ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू हुआ था। इधर, मैं कन्फ्यूज हूं नेताजी के विराट अनुभव पर। उन्होंने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि महिलाओं को आरक्षण मिला सीटी बजेगी। खूब सीटी बज रही है,पार्लियामेंट का काम धांसू तरीके से चल रहा है।
नोट-(नेताजी की भविष्यवाणी के मद्देनजर मैं भी भविष्यवक्ता हो लिया हूं और व्यंग्य आने वाले दिन के हिसाब से लिखा गया है। तारीख आप तय कर लें)
It begins with self
2 weeks ago
मजा आ गया जी.... अब पहेली का मजा लें.....
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विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html
वाह जी..सटीक!
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