Sunday, March 29, 2009

पवार का विवादास्पद भाषण यूट्यूब पर क्यों नहीं?

नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को किसी भाषण सभा में मालेगांव ब्लास्ट का मसला उठाया। उनका बयान 'न्यूज चैनल' आजतक ने दिखाया,तो मन में इच्छा हुई कि सुना जाए कि पूरा बयान क्या है। शरद पवार के इस बयान को सुनने के लिए यूट्यूब का दरवाजा खटखटाया,लेकिन रात 11.15 तक यह वीडियो उपलब्ध नहीं था। कम से कम मुझे नहीं दिखायी दिया।

दरअसल, शरद पवार का बयान हिला देने वाला है,और देखना ये है कि अब राजनीतिक हलको में इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है। शरद पवार ने कहा उन्हें यकीं था कि मालेगांव मस्जिद ब्लास्ट में किसी मुसलमान का हाथ नहीं हो सकता क्योंकि कोई हिन्दू मंदिर में,कोई मुसलमान मस्जिद में,कोई सिख स्वर्ण मंदिर में और कोई क्रिश्चन गिरजाघर में बम ब्लास्ट करने की सोच ही नहीं सकता। पवार ने आगे कहा कि मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी पकड़े गए तो साफ हो गया कि किसने हमले किए थे। गौरतलब है कि कर्नल पुरोहित,साध्वी प्रज्ञा समेत दस से ज्यादा लोगों को मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया गया है। यानी पवार का इशारा साफ था कि मालेगांव विस्फोट में हिन्दू आतंकवादियों का हाथ है। लेकिन,पवार ने इससे आगे जाकर जो कहा-वो निश्चित तौर पर आपत्तिजनक है। पवार ने कहा कि मालेगांव ब्लास्ट में इन आरोपियों के पकड़े जाने के बाद देश में कहीं कोई बम ब्लास्ट नहीं हुआ।

अब,सवाल ये कि इस बयान का क्या मतलब है? पवार शायद अल्पसंख्यक वर्ग को रिझाने के चक्कर में कुछ ज्यादा बोल गए। लेकिन,वो भूल गए कि साध्वी प्रज्ञा को अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था। उसके चंद दिन के भीतर ही कर्नल पुरोहित समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया गया,जिन्हें नासिक अदालत में पेश किया गया था। लेकिन,इन सभी की गिरफ्तारी के बाद मुंबई में 26 नवंबर को हमला हुआ। ऐसा हमला,जिसके बारे में हम कभी सोच नहीं सकते थे। ये साबित हो चुका है कि इस हमले में शामिल सभी आतंकवादी पाकिस्तानी थे। पकड़ा गया आतंकवादी का नाम तो मोहम्मद कसाब ही है। और इस हमले में 34 से ज्यादा मुस्लिम मारे गए। यानी मुसलमान आतंकवादियों ने मुसलमानों को निशाना बनाया। फिर,अगर कोई मुस्लिम आतंकवादी मुसलमानों को निशाना नहीं बना सकता तो पाकिस्तान में रोजाना बम विस्फोट होते ही नहीं।

दरअसल,अल्पसंख्यकों को रिझाने के चक्कर में आतंकवाद को धर्म के आवरण में लपेटा जा रहा है,जो घातक है। आतंकवादी कसाब हो या प्रज्ञा-कानूनन सजा मिलनी चाहिए और सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।

खैर,बात शुरु हुई थी कि यूट्यूब पर पवार के वीडियो की गैरमौजूदगी से। आखिर,जितना अंश चैनल ने दिखाया,उससे पवार का बयान बेहद आपत्तिजनक है। काश,खुद को प्रोग्रेसिव और मॉर्डन बताने वाली पवार की एनसीपी इस भाषण को यूट्यूब पर भी फौरन डाल देती,तो मुमकिन है कि इतनी कलम घिसनी नहीं पड़ती।

कभी कभी गुस्सा आता है जी......

4 comments:

  1. इलेक्शन कमीशन से अपेक्षा है कि NCP को लिख कर कहा जाये कि पवार को उम्मीदवार न बनायें या फिर अस्त्र शस्त्र सिर्फ हिन्दू और राष्ट्र हित कि बात करने वालों पर ही चलते हैं?

    शर्म-शर्म-शर्म

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  2. ये सेकूलरिये नेता बहुसंख्यक वर्ग के मन में एक गुबार भरे जा रहे हैं जिसके दूरगामी परिणाम होंगे

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  3. पावर साहब धर्मनिरपेक्ष है न

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  4. सूप बोले तो बोले, छलनी भी बोले जिसमें सौ छेद… पवार और दाऊद के मधुर रिश्ते जगजाहिर हैं… मुम्बई के बिल्डरों और भूमाफ़िया से पैसा लेकर देश का सर्वाधिक पैसे वाला नेता, संघ को गरिया रहा है, इसी को कहते हैं "शर्मनिरपेक्षता"…

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