Monday, May 27, 2013

आठ साल की ‘यूट्यूब’ के बीच

वीडियो शेयरिंग साइट यूट्यूब ने बीते सोमवार को आठ साल पूरे कर लिए। आठ साल पहले महज एक वीडियो से शुरु हुई इस साइट पर आज प्रति मिनट 100 घंटे का वीडियो अपलोड हो रहा है। कॉमस्कोर की रिपोर्ट के मुताबिक यूट्यूब पर साल 2011 में हर मिनट करीब 48 घंटे का वीडियो अपलोड हो रहा था, जबकि साल 2007 में यह आंकड़ा महज 8 घंटे का था। यूट्यूब का दावा है कि हर महीने एक अरब लोग इस साइट पर वीडियो देखते हैं। लेकिन, सवाल आंकड़े का नहीं उपयोगिता का है। क्या यूट्यूब की उपयोगिता के विस्तार लेते संसार में आम लोग वास्तव में पूरा लाभ उठा पा रहे हैं ? बीते आठ साल में यूट्यूब ने खुद को वीडियो शेयर करने वाली साइटों में लगातार नंबर एक बना कर रखा। इसकी बड़ी वजह गूगल के पास इसका मालिकाना हक होना है तो दूसरी प्रमुख वजह उपयोगिता का दायरा बढ़ना भी है। यूट्यूब पर कोई भी शख्स वीडियो अपलोड कर सकता है, लिहाजा आज यहां चार अरब से ज्यादा वीडियो उपलब्ध हैं। आप सिर्फ कल्पना कीजिए और वह वीडियो यूट्यूब पर मौजूद है। यूट्यूब पर शादी-मुंडन और होली-दीवाली जैसे त्योहारों की तस्वीरों से लेकर राजनेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस, फिल्में, पुराने मैच और तमाम हैरतअंगेज वीडियो उपलब्ध हैं। कई दिलचस्प प्रयोग यूट्यूब के जरिए परवान चढ़ रहे हैं। मसलन डब्लूडब्लूडब्लूखानएकैडमीडॉटऑर्ग नाम के वेब पते पर अपना खास स्कूल संचालित करने वाले अमेरिकी सलमान खान वर्चुअल दुनिया में ऐसा स्कूल चला रहे हैं, जहां करीब तीन लाख छात्र निशुल्क शिक्षा ले रहे हैं। कई देशी-विदेशी राजनेताओं और दूसरे सेलेब्रिटी के यूट्यूब चैनल हैं, जिन पर वो अपने वीडियो उपलब्ध कराते हैं। हॉलीवुड में यूट्यूब पर फिल्मों का प्रदर्शन शुरु हो चुका है। बॉलीवुड में भी ‘स्ट्राइकर’ समेत कुछ फिल्मों का प्रदर्शन भी यूट्यूब पर हुआ है। दो साल पहले विवाद में फँसे इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी ने खुद पर लगे आरोपों का जवाब देते हुए अपना इंटरव्यू सबसे पहले यूट्यूब पर अपलोड किया था। यूट्यूब पर आईपीएल मैचों के लाइव प्रसारण हो ही चुका है। नागरिक पत्रकारों को तो यूट्यूब ने नए पंख दिए ही हैं। यूट्यूब को 2005 में पेपाल नामक कंपनी के तीन पूर्व कर्मचारियों ने मिलकर बनाया था लेकिन एक साल के भीतर इसकी अहमियत इंटरनेट की दुनिया की बेताज बादशाह गूगल को समझ आ गई। गूगल ने 2006 के आखिरी दिनों में इसे 1.65 अरब अमेरिकी डॉलर में खरीद लिया। गूगल की तमाम महात्वाकांक्षाओं के बीच यूट्यूब को लेकर भी एक महात्वाकांक्षा है। इसी कड़ी में साइट अब कुछ प्रमुख यूट्यूब चैनल को देखने का शुल्क वसूलने की योजना बना रही है। लेकिन निसंदेह इस महात्वाकांक्षा के बीच आम लोगों को इंटरनेट की दुनिया के कई जुदा आयामों से परिचित होने का मौका मिला है। यूट्यूब पर लाखों किस्म के वीडियों हैं, जिनके अपने दर्शक हैं। हाल में हुए एक सर्वे के मुताबिक यूट्यूब समाचार पाने का प्रमुख माध्यम बनती जा रही है। यूट्यूब के कई वीडियो की न्यूज वैल्यू अहम साबित हुई है। ईरान में नेदा आगा ही हत्या से लेकर मिस्र के आंदोलन के दौरान तैयार कई वीडियो इसकी तस्दीक करते हैं। लेकिन यूट्यूब ने अहम शुरुआत की यूट्यूब चैनलों के साथ साझेदारी कर। आज कोई भी व्यक्ति या संस्था, जो वीडियो तैयार करती है, वो यूट्यूब के साथ करार कर सकती है, जिसके बाद दर्शकों की संख्या के आधार पर उसे राजस्व की प्राप्ति होती है। यूट्यूब के साथ जुड़े विवाद भी कम नहीं है। कॉपीराइट सामग्री से लेकर विवादास्पद वीडियो का झंझट साइट के साथ हमेशा से रहा है, लेकिन इसकी उपयोगिता सब पर भारी है। हां, सवाल अब भविष्य के यूट्यूब का है। आखिर यूट्यूब सिर्फ वीडियो का भंडारण करता रहेगा या इसके मार्फत वर्चुअल दुनिया में किसी और नयी क्रांति का आगाज़ होगा। इतना तय है कि फिल्मों के थिएटर के साथ यूट्यूब पर रिलीज होने, बड़े खेल आयोजनों-प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के यूट्यूब पर लाइव टेलीकास्ट होने और यूट्यूब के आसरे अलग अलग विषयों के वर्चुअल क्लासरुम लगने जैसी घटनाएं अब सामान्य होंगी। यूट्यूब पर क्षेत्रीय भाषाओं के कंटेंट दिखने की शुरुआत हो चुकी है, जो भविष्य में खूब दिखायी देगा। इसके अलावा स्टिंग ऑपरेशन यूट्यूब के जरिए बड़े धमाके कर सकते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि यूट्यूब ने निशुल्क वीडियो भंडारण की सुविधा देकर भी आम लोगों को बहुत बड़ी सहूलियत दी है। लेकिन, आम लोगों को यूट्यूब की गलियों से निकलते नए रास्तों को पढ़ना सीखना होगा। इन नयी राहों पर आर्थिक संभावनाओं से लेकर पहचान बनाने की संभावनाओं तक बहुत कुछ शामिल है। हां, ग्रामीण आबादी अभी इंटरनेट की पहुंच में नहीं है, लिहाजा उसे इस महत्वपूर्ण माध्यम के इस्तेमाल न कर पाने से होने वाला नुकसान तय है। यूट्यूब के आठवें जन्मदिन पर आम लोगों को यूट्यूब से होने वाले निजी फायदों के बाबत सोचना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि यहां भी कॉरपोरेट जगत इस कदर हावी हो जाए कि निजी प्रयास हाशिए पर चले जाएं।

2 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सलाम है ऐसी कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल को - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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