Friday, May 7, 2010

ध्यान दें- http://موقع.وزارة-الأتصالات.مصر

छह मई का दिन इंटरनेट के 40 साल के इतिहास में एक अहम दिन बनकर उभरा, लेकिन संभवत: उस ऐतिहासिक घटना को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई। इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर (आईसीएएनएन) ने आखिरकार अंग्रेजी से इतर यानी नॉन लैटिन भाषा में तीन डोमेन नामों को मंजूरी दे दी।

इनमें से एक को आप यहां देख सकते हैं- http://موقع.وزارة-الأتصالات.مصر

हालांकि पिछले साल तीस अक्टूबर को सिओल में हुई बैठक में आईसीएएनएन ने तय किया था कि लैटिन भाषा के अक्षरों के अलावा दुनिया के कई मुल्कों की भाषाओं में भी इंटरनेट पते लिखे जाएं। इंटरनेट के 40 साल के इतिहास में आईसीएएनएन का यह फैसला ऐतिहासिक साबित हो सकता है-ये बात तो तभी साबित हो गई थी, लेकिन अरबी भाषा में पहला यूआरएल देखकर अब इस बात को महसूस किया जा सकता है।

इसका अर्थ यह है कि अब देवनागिरी लिपी में भी जल्द ही वेब पते लिखे जाएंगे।

अंग्रेजी में महारथी माने जाने वाले शुरुआती भारतीय इंटरनेट उपभोक्ताओं को इसकी आवश्यकता महसूस कभी नहीं हुई। लेकिन, इंटरनेट के फलक के विस्तार के साथ भारतीयों खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के बीच हिन्दी व दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में इंटरनेट की जरुरत दिखायी देने लगी है। अब हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं में वेबसाइट्स बन रही हैं। यूनिकोड ने फॉन्ट की समस्या को भी बहुत हद तक दूर किया है। हिन्दी में सर्च इंजन वेबसाइट खोजने की सुविधा दे रहे हैं। देवनागरी लिपी के की-बोर्ड बाज़ार में मिलने लगे हैं। लेकिन, वेब पतों का अंग्रेजी में होना कई लोगों के लिए व्यवहारिक परेशानी रहा है, क्योंकि उन्हें रोमन लिपी में टाइप करना नहीं आता अथवा झंझट लगता है।

लेकिन, अरबी भाषा में डोमेन नेम को मंजूरी मिलने के बाद हिन्दी समेत कई भाषाओं में वेब एड्रेस लिखे दिखेंगे।
आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के करीब 1.6 बिलियन इंटरनेट उपयोक्ताओं में आधे से ज्यादा अपनी प्राथमिक भाषा के रुप में अंग्रेजी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सिर्फ इस आंकड़े के बीच ही वेब एड्रेस में अंग्रेजी के प्रभुत्व के खत्म होने की दरकार समझी जा सकती है। हालांकि, चीन इस दिशा में पहले ही कदम उठा चुका है, जहां वेब पते चीनी भाषा लिखने की शुरुआत हो चुकी है। हान्यू पिनयिन सिस्टम के जरिए वेबसाइट चीनी भाषा के अक्षरों को लैटिन में ट्रांसलेट करती है। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं होने और कई दूसरी तकनीकी समस्याओं के चलते चीन की कोशिश पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाई।

बहरहाल, अरबी भाषा में बनी मिस्र के सूचना मंत्रालय की इस साइट को देखने का अपना सुख है,क्योंकि इसका डोमेन नेम अंग्रेजी से इतर भाषा में लिखा गया है।

5 comments:

  1. badhai ho!badhiya jaankaari ke liye dhanyawaad hai ji!

    kunwar ji,

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  2. अच्‍छी खबर है वाकई इससे नेट की दुनिया में क्रांति आ सकती है,

    arab republic of Egypt मिस्र Ministry of Communications an dinformation technology
    को भी बधाई

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