सोशल मीडिया की दुनिया में ऐसा क्या आकर्षण है कि यहां बॉलीवुड सितारों का मेला लगने लगा है? हिन्दी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर खुद को साबित करने में जुटे रीतेश देशमुख तक यहां अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं ? क्या इस नयी दुनिया के रुप में उन्हें ‘अलादीन का चिराग’ मिल गया है, जो फिल्म हिट कराने से लेकर अपनी अलग पहचान गढ़ने में मदद कर रहा है या वजह कुछ और हैं ? सवाल कई हैं, जो अब सोशल मीडिया में बॉलीवुड कलाकारों की बढ़ती दिलचस्पी के बीच पूछे जा रहे हैं।
इन सवालों का जवाब टटोलने से पहले बॉलीवुड कलाकारों की सोशल मीडिया में बढ़ते दखल की बानगी देखिए। साल 2004 में प्रकाश झा ने फिल्म ‘अपहरण’ के प्रचार के लिए कलाकारों से जमकर ब्लॉगिंग कराई थी। अजय देवगन, बिपाशा बसु, मोहन आगाशे और खुद प्रकाश झा ने फिल्म से जुड़े अपने अनुभवों पर ब्लॉगिंग की। लेकिन, उस वक्त फिल्म की सफलता के बावजूद इस प्रयोग की ओर ज्यादा ध्यान नहीं गया था।
लेकिन, अप्रैल-2008 में अचानक बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपना ब्लॉग शुरु कर एक हवा को आंधी में बदल दिया। व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद अमिताभ बच्चन की ब्लॉगिंग को शुरुआत में ‘चार दिनों का शौक’ करार दिया गया, लेकिन उन्होंने इस आशंका को गलत साबित कर दिया। अमिताभ बच्चन ने ऐश्वर्या के मांगलिक होने से लेकर विमान यात्राओं में अपना सामान खोने तक कई निजी मसलों पर लिखा। इसके अलावा कई बार मीडिया पर भी अपनी भड़ास निकाली। अमिताभ से पहले, आमिर खान 2007 से ही ब्लॉगिंग कर रहे थे। इसके अलावा करण जौहर, रामगोपाल वर्मा और शेखर कपूर जैसे निर्देशक भी पुराने ब्लॉगर हैं, लेकिन अमिताभ के ब्लॉग को मिली लोकप्रियता ने सभी को पीछे छोड़ दिया। इसके बाद तो सलमान खान, शाहरुख खान, मनोज बाजपेयी, शिल्पा शेट्टी, पायल रोहतगी, अभय देओल जैसे कई सितारों ने ब्लॉगिंग में हाथ आजमाया। हाल में राहुल बोस ने एक बार फिर ब्लॉगिंग शुरु की है।
ब्लॉग पर पोस्ट लिखने के साथ इन दिनों बॉलीवुड कलाकारों पर माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘twitter’ का भूत सवार है। 140 अक्षरों की पोस्ट वाली यह सेवा खासी लोकप्रिय हो रही है। प्रियंका चोपड़ा के twitter खाते से करीब 28,000 प्रशंसक जुड़ चुके हैं। उदय चोपड़ा, करण जौहर, गुल पनाग,रीतेश देशमुख जैसे कई नाम हैं,जो twitter के दीवाने हैं। इस सूची में रोज बड़े नाम जुड़ रहे हैं। इसी तरह, सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ और ‘ऑर्कुट’ पर तमाम सितारे मौजूद हैं।
सोशल मीडिया के रुप में बॉलीवुड कलाकारों को एक अनूठा हथियार मिल गया है। इस हथियार से एक साथ कई निशाने साधे जा सकते हैं। मसलन-बॉलीवुड कलाकारों को अपनी फिल्म की पब्लिसिटी का एक और जरिया मिल गया है। हज़ारों की तादाद में जुड़े प्रशंसकों से सीधे फिल्म देखने की भावनात्मक अपील भले फिल्म को हिट न कराए लेकिन उत्सुकता तो जगाती ही हैं। फिर, इसी हथियार से विरोधियों को चित किया जा सकता है। अमिताभ बच्चन अक्सर ब्लॉग पर मीडिया को आड़े हाथों लेते रहे हैं, तो मनोज बाजपेयी एक बार राम गोपाल वर्मा से दो-दो हाथ कर चुके हैं। आमिर खान ने अपने कुत्ते का नाम शाहरुख पर होने की बात लिखकर संभवत: अपनी भड़ास निकाली थी। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि सोशल मीडिया की पहुंच लगातार व्यापक हो रही है। प्रकाश झा की पिछली फिल्मों की सोशल नेटवर्किंग साइट ‘ऑर्कुट’ पर बनी कम्यूनिटी के सदस्यों की संख्या से इस बात को और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। ‘गंगाजल’ के वक्त जहां अजय देवगन के नाम बनी 110 कम्यूनिटी में कुल सदस्यों की संख्या करीब 15 हजार थी, वहीं ‘राजनीति’ के रिलीज होने से पहले ही सिर्फ रणबीर कपूर के नाम पर 532 कम्यूनिटी हैं,जिनकी सदस्य संख्या दो लाख से ज्यादा है। कैटरीना कैफ के नाम पर तो 1000 से ज्यादा कम्यूनिटी हैं, जिनकी सदस्य संख्या पांच लाख से ज्यादा है।
भारत में ‘फेसबुक’ इस्मेमाल करने वालों की तादाद चंद महीनों में 25 लाख पार कर गई है। ‘आर्कुट’ के भी लाखों सदस्य हैं। जबकि ट्विटर के उपभोक्ताओं के बढ़ने की रफ्तार हजार गुना से ज्यादा है। ट्विटर के संदेशों को मोबाइल फोन के जरिए भी भेजा और प्राप्त किया जा सकता है, लिहाजा इसके मुरीद सभी हैं। फिर, इस नए माध्यम में मुख्यधारा की मीडिया की कोई दखलंदाजी नहीं है यानी बयान तोड़मरोड़कर पेश करने जैसी कोई बात नहीं है। इसके अलावा, विदेशों में बैठे दर्शकों के बीच फिल्म की पब्लिसिटी का यह शानदार माध्यम है।
निर्माता-निर्देशक भी इस बात को बखूबी समझ रहे हैं,लिहाजा फिल्म के प्रमोशन की रणनीति सोशल मीडिया के इर्दगिर्द बुने जाने की शुरुआत हो गई है। हाल में प्रदर्शित हुई फिल्में ‘कम्बख्त ईश्क’ और ‘लव आज कल’ के प्रचार के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ पर फिल्म पर आधारित ग्रुप बनाए गए। इन ग्रुप के सदस्यों के बीच कभी फिल्म की ताजा तस्वीरें जारी की गईं तो कभी इम्तियाज अली जैसे निर्देशक ने खुद नियमित तौर पर ‘चैट’ की। कमीने, काइट्स और सिकंदर जैसी कई आगामी फिल्मों का प्रमोशन इस तर्ज पर हो रहा है।
निश्चित तौर पर, आठ करोड़ से ज्यादा इंटरनेट और करीब 40 करोड़ मोबाइल धारकों के इस नए समाज में एक तरफ जहां बॉलीवुड को प्रचार का बेहतरीन जरिया मिला है, वहीं दूसरी तरफ, बॉलीवुड कलाकारों को एयरकंडीशन कमरे और गाड़ियों में बैठे बैठे सीधे प्रशंसकों से जुड़ाव का। लेकिन, सचाई यही है कि हाई-फाई लैपटॉप और मोबाइल के जरिए ज्यादातर कलाकार या तो अपनी फिल्म का प्रचार कर रहे हैं या खुद को एक मजबूत ब्रांड के रुप में स्थापित करने की कोशिश । कलाकारों के ब्लॉग-ट्विटर या सोशल नेटवर्किंग साइट्स के इस्तेमाल की खबर मुख्यधारा के मीडिया में सुर्खियां बटोर रही हैं। यही वजह है कि शाहरुख, सलमान, माधवन, अभय देओल और फरहान अख्तर जैसी कई हस्तियों ने सिर्फ अपना उल्लू सीधा होने तक यह खेल खेला। सलमान रिएलिटी शो ‘दस का दम’ को हिट कराने के लिए ब्लॉगिंग करते दिखे, तो शाहरुख आईपीएल में नाइट राइडर्स के प्रचार के इरादे से। अभय ने ‘ओए लक्की ओए’ के दौरान एक पोस्ट भर लिखी। हां, शेखर कपूर, मनोज बाजपेयी, आमिर खान जैसे अपवादों को छोड़ दें, जिन्होंने देश-दुनिया के हाल को भी अपनी सोच के दायरे में रखा तो बाकी कलाकार इस सोशल मीडिया के सोशल पहलू को भुलाते दिखे हैं। कहीं अहंकार हावी है, कहीं आत्ममुग्धता। इस बीच, देशी सेलेब्रिटियों के बीच ट्विटर का झंडा बुलंद करने वाली अभिनेत्री गुल पनाग का रक्त दान से संबंधित मैसेज (ट्वीट) दिखता है, तो सुखद हैरानी होती है। निश्चित तौर पर बॉलीवुड कलाकारों के हाथों में आए सोशल मीडिया के नए औजार न केवल औरों से कहीं ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं, बल्कि कई सार्थक पहल कर सकते हैं। बशर्ते वो इस दिशा में सोचें।
(दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में 13 अगस्त को प्रकाशित आलेख)
It begins with self
6 days ago
जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )