Thursday, July 30, 2009

जाको राखे 'नेटीजन', रोक सके न कोय

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी को सोशल मीडिया के कुछ दिलचस्प और चर्चित किस्सों का पता होता, तो शायद वो ऐसी गलती कभी नहीं करते। उन्होंने खुद पर गढ़े गए एसएमएस-ईमेल और ब्लॉग पोस्ट पर पाबंदी लगाने के लिए “दोषियों” को 14 साल की जेल का ऐलान कर डाला। अपनी नीतियों पर जनता की आलोचना से भन्नाए राष्ट्रपति के इस फरमान का खुलासा किया गृहमंत्री रहमान मलिक ने। उनके मुताबिक, फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वो लतीफे वाले ई-मेल और एसएमएस पर नजर रखे और दोषियों को साइबर क्राइम एक्ट के तहत जेल में ठूंस दे। लेकिन, जरदारी और मलिक का यह दांव उल्टा पड़ गया है। जरदारी पर गढ़े लतीफे एसएमएस, ई-मेल, ब्लॉग और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर खूब दिख रहे हैं। राष्ट्रपति साहब अब इस बात पर खफ़ा हैं कि इतनी जबरदस्त चेतावनी के बावजूद भी ऐसा क्यों हुआ। दरअसल,ऐसा होना ही था। सोशल मीडिया के किसी भी माध्यम में कंटेंट के आने के बाद उस पर जबरदस्ती पाबंदी लगभग नामुमकिन है। ऐसे उदाहरणों की लंबी फेहरिस्त है।

अमेरिका में चंद साल पहले पायलट गैब्रिली एडलमैन और फोटोग्राफर केनेथ एडलमैन ने अपनी साइट कैलिफोर्नियाकोस्टलाइनडॉटओआरजी के लिए पूरे समुद्र तट के फोटो खींचे तो उनमें एक तस्वीर मशहूर गायिका बारबरा स्ट्रीसैंड़ की भी थी। बारबरा ने जिद की कि उनके घर का फोटो साइट से हटाया जाए। इस बात की भनक लगते ही नेट प्रेमियों के बीच इस फोटो का धुआंधार आदान-प्रदान हुआ। तमाम साइटों और ब्लॉग पर फोटो चस्पां हो गया। नतीजा,बारबरा का यह घर आज भी नेट पर देखा जा सकता है। इसी तरह,पाठकों द्वारा किसी ब्लॉग,साइट या ट्विटर की पोस्ट की रेटिंग करने वाली वेबसाइट डिगडॉटकॉम पर 2007 में एचडी-डीवीडी को तोड़ने वाला एक कोड़ जबरदस्त हिट हुआ। सिर्फ एक दिन के भीतर 3172 ब्लॉग पर इस कोड़ का ज़िक्र किया जा चुका था। फिल्म इंडस्ट्री ने डिग पर कानूनी कार्रवाई का ऐलान किया तो डिग के संस्थापक कैविन रोज़ ने फौरन मूल कोड़ हटा लिया। लेकिन,तब तक लाखों लोग इस कोड़ को न केवल जान चुके थे,बल्कि कोड़ तोड़ने का वीडियो ‘यूट्यूब’ पर भी आ चुका था। डिगडॉटकॉम सिर्फ साइट-ब्लॉग का एग्रीगेटर है,लिहाजा इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। लेकिन,कार्रवाई की बात ने कोड़ के प्रचार में अहम भूमिका निभायी। ज़रदारी भी इसी तरह गलती कर गए हैं-कार्रवाई की धमकी देकर। नतीजा पाकिस्तान में यार-दोस्त आपस में तो एसएमएस-ईमेल भेज ही रहे हैं, सोशल मीडिया पर इन लतीफों की भरमार हो रही है। जानकारों की मानें तो इस माध्यम में ‘नेटीजन’ के माऊस क्लिक तक पहुंचे कंटेंट को भगवान भी उनसे नहीं छीन सकता। लेकिन, जरदारी ये बात कहां जानते थे ?

चीन बोला- नामीबिया कहां ?

इंटरनेट सेंसरशिप के मामले में चीन का कोई जवाब नहीं। ज़रा ज़रा सी बात पर चीन में वेबसाइट पर पाबंदी लगना आम हो चला है। हाल में, चीन ने सर्च इंजन में नामीबिया से जुड़े की-वर्ड ही ब्लॉक कर डाले। दरअसल,एक चीनी कंपनी के नामीबिया सरकार के साथ समझौते में हुई धांधली की खबर लीक होने के बाद चीन सरकार ने यह फैसला किया। इस फैसले के बाद बीस लाख की आबादी वाला यह दक्षिणी अफीका का मुल्क इंटरनेट से लापता हो गया। नामीबिया सर्च करने पर एरर मैसेज आने लगा। इससे पहले, जून में थ्यानमैन चौक नरसंहार की 20वीं बरसी पर चौकसी बरतते हुए सरकार ने ट्विटर, हॉटमेल और फ्लिकर जैसी कई साइटों पर पाबंदी लगा दी थी। दिलचस्प यह कि सरकार पाबंदी लगाती है,लेकिन यह खबर लीक जरुर होती है कि सरकार ने किन साइटों पर और क्यों रोक लगाई है। ऐसे में,क्या सरकार अपने इरादे में कामयाब हो पाएगी ?


आंकड़ों में :

बराक ओबामा से प्रियंका चोपड़ा तक कई हस्तियां इन दिनों माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर का इस्तेमाल कर रही हैं। एक तरह से ट्विटर नया स्टेटस सिंबल बन गई है। ट्विटर के चाहने वाले दुनिया भर में किस तेजी से बढ़ रहे हैं, इसका अंदाजा नील्सन कंपनी की रिसर्च के नतीजों से लगाया जा सकता है। इसके मुताबिक, साल 2006 में बनी इस कंपनी की साल 2008 में विकास दर 1382 फीसदी रही है। 2009 फरवरी में इसे सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म घोषित किया गया।


चलते-चलते :

जरदारी पर बने हज़ारों एसएमएस में से कुछ

1-“जरदारी और मुशर्ऱफ़ ”

हकीकत थी पर / ख्वाब निकला /दूर था पर पास निकला / मैं इस बात को क्या कहूं /ये ज़रदारी तो / मुशर्ऱफ़ का भी बाप निकला

2-“अपहरण”

आतंकवादियों ने जरदारी का अपहरण कर लिया। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से बदले में 5 करोड़ डॉलर की मांग की है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वो अपने प्यारे राष्ट्रपति को छुड़ाने के लिए जो कुछ दे सकते हैं, दें।

मैंने पांच लीटर पेट्रोल दान दिया है।

(दैनिक भास्कर, दिल्ली में प्रकाशित स्थायी स्तंभ-ब्लॉग उ(वॉच)

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