आदरणीय राज भैया,
फिल्मों में आने का शौक है, इसलिए आपके लागू तमाम सिद्धांतों को अभी से घोंट घोंट कर पीने की कोशिश कर रहे हैं। ना..ना...भाई साहब, एक्टिंग का कोई इरादा नहीं है...अपन तो डायरेक्शन में हाथ आजमाने आएंगे मुंबई। तुमची मुंबई। फ़क्त तुमची मुंबई। करण जौहर के आपके सापने हाथ जोड़कर खड़े रहने के बाद समझ आ गया है कि डायरेक्शन बिना आपकी इजाजत नहीं होगा। अपन को कोई दिक्कत नहीं है। स्क्रिप्ट,डायलॉग वगैरह की एक कॉपी शूटिंग शुरु करने से पहले ही आपके शुभ हाथों से ‘अटैस्टेड’ करा ले जाएंगे।
लेकिन भैया, बड़ा कन्फ्यूजन है। इधर हम लगातार मुंबई मुंबई कहने की आदत डाल रहे हैं, उधर टेलीविजन पर एक विज्ञापन लगातार हमारे कानों में बंबई नाम का ज़हर डाल रहा है। क्या कहा ? आपको पता ही नहीं है कि आपके राज में आपके आंखों के नीचे बने इस विज्ञापन के बारे में ?
भैया,वोडाफोन वालों का विज्ञापन है। इरफान खान इस विज्ञापन में अपने भाई की शादी का जिक्र करता है। फिर कहता है, अब लगाओ फोन- दिल्ली,बंबई,कलकत्ता,चेन्नई। मुझे तो इस पर भी घनघोर आपत्ति है कि इरफान खान ने मुंबई को बंबई और कोलकाता को कलकत्ता कहने की हिमाकत की। लेकिन, उत्तर भारतीय होने के बावजूद चेन्नई को मद्रास नहीं कहा। वैसे,इरफान के हाथों में अभी काफी हिन्दी फिल्में हैं,पर हो सकता है कि वो साऊथ की फिल्मों के लिए अभी से सैटिंग कर रहा हो।
लेकिन,अपन को उसकी सैटिंग से क्या? हमें तो अपनी भावी फिल्म से मतलब है। राज साहब, इधऱ दिल्ली में बैठकर मुंबई वंदना की आदत डाल रहे हैं,लेकिन इस विज्ञापन की वजह से सब गुड़गोबर हो रहा है। उस पर, एक कन्फ्यूजन यह भी होता है कि आपकी औकात कुछ नहीं है। आप वोडाफोन का एक विज्ञापन, जो दिन भर तमाम टेलीविजन चैनलों पर भौंपू की तरह बजता रहता है, उसे नहीं रुकवा पाए तो हमारा क्या उखाड़ लोगे ?
अरे ना ना....बुरा ना मानना भइया....ये कन्फ्यूजन होता है। इसलिए कृपया कर ‘वेक अप सिड’ के खिलाफ अपने दिखाए पराक्रम का एक नमूना इस विज्ञापन के खिलाफ भी दिखाइए। बड़ी मेहरबानी होगी। और हां, मुंबई मुंबई मुंबई मुंबई मुंबई...........1001 की माला जप रहा हूं। इस माला में विघ्न न पड़े-इसलिए तत्काल कार्रवाई अपेक्षित है।
It begins with self
6 days ago
बढिया व्यंग्य ...
ReplyDeleteखुशदीप सहगल जी से पता चला कि राज ठाकरे का बेटा खुद बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में पड़ता है...वहां राज को नाम पर कोई ऐतराज नहीं...राज ने अपने बेटे को मराठी की जगह डच (जर्मन) भाषा दिला रखी है...जानते हैं क्यों...क्योंकि राज अपने को हिटलर का प्रशंसक मानते हैं...यही है 'राज' नीति...
बढिया व्यंग्य ...
ReplyDeleteबढिया व्यंग्य ...
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